महाकुम्भ में अमृत स्नान सबसे बड़ा पर्व है। अमृत स्नान प्राचीन परंपराओं और संस्कृति के साथ ही भारत की आध्यात्मिकता और आस्था का प्रतीक है। संन्यासियों के दल पहले अमृत स्नान के लिये त्रिवेणी की ओर चल पड़े हैं। संस्कृति के प्रति आस्था और परंपराओं का पालन करते हुए लाखों श्रद्धालु मार्ग में हर हर महादेव और हर हर गंगे के उद्घोष से उनका स्वागत कर रहे हैं। आज का पहला अमृत स्नान महाकुम्भ की उस प्राचीन परंपरा का प्रतीक है जो सदियों से भारत का अभिन्न हिस्सा रही है, और निर्बाध रूप से देश के करोड़ों लोग उसका पालन करते रहे हैं। महाकुम्भ का ये पर्व हमारी आस्था का विषय होने के साथ ही सनातन की रक्षा के लिये हमें प्रेरित करता है।





