प्रयागराज में आयोजित हो रहा महाकुंभ 2025 विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह 144 वर्षों बाद एक दुर्लभ खगोलीय संयोग के साथ संपन्न हो रहा है। इससे पहले ऐसा संयोग 1881 में बना था। महाकुंभ प्रत्येक 144 वर्षों में एक बार आयोजित होता है, जबकि कुंभ मेला हर 12 वर्षों में होता है। महाकुंभ का आयोजन 12 पूर्ण कुंभ मेलों के बाद होता है, जो इसे विशेष बनाता है। मकर संक्रांति पर आज महाकुंभ का पहला शाही स्नान है जिसमें परंपरा अनुसार पहले अखाड़े के महामंडलेश्वर स्नान करेगे । महाकुंभ 2025 के दौरान, शाही स्नान (जिसे अब ‘अमृत स्नान’ कहा जाता है) के लिए विभिन्न अखाड़ों के साधु-संतों के स्नान का समय और स्थान निर्धारित किए गए हैं। सभी अखाड़ों के साधु-संत प्रयागराज के संगम तट पर स्नान करेंगे, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम होता है।

अखाड़ों का स्नान क्रम और समय:शाही स्नान के लिए अखाड़ों के स्नान का क्रम और समय निम्नलिखित है:1. महानिर्वाणी और अटल अखाड़ा: सुबह 5:15 बजे से 7:55 बजे तक।2. निरंजनी और आनंद अखाड़ा: सुबह 6:05 बजे से 8:45 बजे तक। प्रत्येक अखाड़ा अपने निर्धारित समय पर शोभायात्रा के साथ संगम तट पर पहुंचकर स्नान करेगा।


इस महाकुंभ में दुनियाभर से लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, जो इसे विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बनाता है।
शाही स्नान की तिथियां महाकुंभ के दौरान प्रमुख शाही स्नान की तिथियां निम्नलिखित हैं:
14 जनवरी 2025: पहला शाही स्नान (मकर संक्रांति)
27 जनवरी 2025: दूसरा शाही स्नान (पौष पूर्णिमा)
10 फरवरी 2025: तीसरा शाही स्नान (मौनी अमावस्या)
26 फरवरी 2025: चौथा शाही स्नान (महाशिवरात्रि)
इन तिथियों पर संगम में स्नान करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है।आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्वमहाकुंभ भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और परंपराओं का प्रतीक है। यह आयोजन संतों, ऋषियों, योगियों और श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है, जहां वे ध्यान, साधना और ज्ञान का आदान-प्रदान करते हैं।इस महाकुंभ में भाग लेना और संगम में स्नान करना आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

महाकुंभ 2025 में शाही स्नान एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि वे प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें और इस पवित्र अवसर का लाभ उठाएं।
