दिल्ली की राजनीति में ऐतिहासिक बदलाव के संकेत मिल रहे हैं।
21वीं सदी में पहली बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राजधानी में सरकार बनाने की ओर अग्रसर दिख रही है। शुरुआती रुझानों में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिलता नजर आ रहा है, जिससे 27 साल का वनवास खत्म होने की संभावना बन गई है।
दिल्ली में 27 साल बाद बदलेगा सियासी गणित?
भाजपा आखिरी बार 1998 में सत्ता में थी, जब सुषमा स्वराज मुख्यमंत्री थीं। इसके बाद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) ने बारी-बारी से सरकार चलाई। लेकिन इस बार जनता ने बदलाव का संकेत दिया है।
अन्ना हजारे का बड़ा बयान – ‘पैसे और शराब ने अरविंद केजरीवाल को निगल लिया’
समाजसेवी अन्ना हजारे ने केजरीवाल पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “मैंने अरविंद से पहले ही कहा था कि झूठ मत बोलो, पैसे और शराब से दूर रहो। लेकिन उसने मेरी नहीं सुनी और सत्ता के नशे में खुद को बर्बाद कर लिया।”
बड़े नेताओं की हार-जीत पर सबकी निगाहें
- कालकाजी सीट पर मुख्यमंत्री आतिशी पीछे, भाजपा के रमेश विधूड़ी आगे।
- नई दिल्ली से अरविंद केजरीवाल पीछे
- करावल नगर से भाजपा के कपिल मिश्रा बढ़त बनाए हुए।
- जंगपुरा से आप के मनीष सिसोदिया हारे
- पटपड़गंज से अवध ओझा हार के कगार पर, भाजपा के रविंद्र नेगी आगे।
दिल्ली में बीजेपी की ऐतिहासिक वापसी?
2015 में भाजपा को केवल 3 सीटें मिली थीं, जिसे ‘ऑटो में सिमटने’ की उपमा दी गई थी। 2020 में यह संख्या 8 हुई, लेकिन इस बार तस्वीर पूरी तरह बदलती दिख रही है। कहा जा रहा है कि भाजपा के विधायक इस बार एक बस भरकर नहीं, बल्कि पूरे काफिले के साथ विधानसभा में पहुंच सकते हैं।
क्या दिल्ली की राजनीति में नया अध्याय लिखने जा रहा है भाजपा? सभी की नजरें इस ऐतिहासिक चुनावी नतीजे पर टिकी हुई हैं।
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